🌅 उलार मंदिर में छठ पूजा: आस्था, संस्कृति और प्रकृति का दिव्य संगम
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक अत्यंत पावन और लोक आस्था से जुड़ा पर्व है, जो मुख्यतः बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन अगर बात हो आस्था के केंद्र उलार मंदिर की, तो यह स्थान छठ महापर्व के दौरान एक आध्यात्मिक तीर्थ बन जाता है।
🛕 उलार मंदिर का धार्मिक महत्व
बिहार के ग्रामीण अंचल में स्थित उलार मंदिर, छठ पर्व के समय भक्ति, एकता और पवित्रता का प्रतीक बन जाता है। मंदिर के समीप स्थित सरोवर (तालाब) सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए एक आदर्श स्थान है। हर वर्ष सैकड़ों श्रद्धालु यहां आकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं और सूर्य भगवान की आराधना करते हैं।
🌞 छठ पूजा की चार दिवसीय परंपरा
छठ पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है:
नहाय-खाय – पहले दिन व्रती पवित्र स्नान करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
खरना – दूसरे दिन दिनभर का उपवास और शाम को गुड़-चावल की खीर और रोटी का भोग।
संध्या अर्घ्य – तीसरे दिन व्रती जलाशय (जैसे उलार मंदिर तालाब) में डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
उषा अर्घ्य – चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है।
🌺 उलार मंदिर में छठ का दृश्य
छठ के दौरान उलार मंदिर का दृश्य अत्यंत मनमोहक और आध्यात्मिक होता है। हर ओर भक्ति गीत, ढोलक की थाप, महिलाओं के मंगल गीत, दीयों की जगमगाहट और चारों ओर फैली पवित्रता इस स्थान को स्वर्ग तुल्य बना देती है।
श्रद्धालु महिलाएं पारंपरिक वस्त्रों में, सिर पर दौरा (बाँस की टोकरियाँ) लिए, तालाब की सीढ़ियों पर खड़ी होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह दृश्य न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की गहराई को भी दर्शाता है।
🙏 समाज और आस्था का संगम
उलार मंदिर में छठ पूजा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, सहयोग और सांस्कृतिक जागरूकता का प्रतीक भी है। स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवक मिलकर साफ-सफाई, सुरक्षा और सजावट की जिम्मेदारी निभाते हैं, जिससे यह आयोजन भव्य और दिव्य बन सके।
छठ पूजा हमें प्रकृति से जुड़ने, आत्मशुद्धि करने और सामाजिक समरसता बनाए रखने की प्रेरणा देती है। और जब यह पूजा उलार मंदिर जैसे पावन स्थल पर होती है, तो यह अनुभव और भी दिव्य हो जाता है।
🙏 छठी मैया से प्रार्थना है कि वे सभी भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।